जयपुर का जन्मदिवस, एक सच्चे जयपुरवसी के लिए वैसा ही है जैसे खुद का जन्मदिन, खास कर के उनके लिए, जिन्होंने जयपुर को हर रोज़ एक नई खूबसूरती से देखा है ।।
सत्रहवीं शताब्दी में जब मुगल अपनी ताकत खोने लगे, तो समूचे भारत में अराजकता सिर उठाने लगी, ऐसे दौर में राजपूताना की आमेर रियासत, एक बडी ताकत के रूप में उभरी। जाहिर है कि महाराजा सवाई जयसिंह को तब मीलों के दायरे में फ़ैली अपनी रियासत संभालने और सुचारु राजकाज संचालन के लिये आमेर छोटा लगने लगा और इस तरह से इस नई राजधानी के रूप में जयपुर की कल्पना की गई।

18 नवंबर सन 1727 में, सवाई जयसिंह ने जयपुर की स्थापना की ।।
महाराजा सवाई जयसिंह ने शहर बसाने से पहले इसकी सुरक्षा की भी काफी चिंता की थी और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ही सात मजबूत दरवाजों के साथ किलाबंदी की गई थी।
जयसिंह ने हालाँकि मराठों के हमलों की चिंता से अपनी राजधानी की सुरक्षा के लिए चारदीवारी बनवाई थी, लेकिन उन्हें शायद मौजूदा समय की सुरक्षा समस्याओं का भान नहीं था।
इतिहास की पुस्तकों में जयपुर के इतिहास के अनुसार यह देश का पहला पूरी योजना से बनाया गया शहर था और स्थापना के समय राजा जयसिंह ने अपनी राजधानी आमेर में बढ़ती आबादी और पानी की समस्या को ध्यान में रखकर ही इसका विकास किया था।

नगर के निर्माण का काम शुरू हुआ और प्रमुख स्थानों के बनने में करीब चार साल लगे। यह शहर नौ खंडों में विभाजित किया गया था, जिसमें दो खंडों में राजकीय इमारतें और राजमहलों को बसाया गया था।
1876 में तत्कालीन महाराज सवाई रामसिंह ने इंग्लैंड की महारानी एलिज़ाबेथ प्रिंस ऑफ वेल्स युवराज अल्बर्ट के स्वागत में पूरे शहर को गुलाबी रंग से सजा दिया था। तभी से शहर का नाम गुलाबी नगरी पड़ा है।
पहाड़ों के भीतर बसा एक सूखे और बंजर झील के बिस्तर पर स्थित और सरे-भरे दीवारों और किलों से बढ़कर, गुलाबी शहर एक जीवन भर से भरा हुआ शहर जिसने पिछली कई पीढियों से, और आने वाली कई पीढ़ियों तक, दिल में जगह बनाई है ।।
Happy birthday जaipur.
