
जनवरी का महीना जयपुर वालों के लिए हमेशा से ख़ास रहा है। न्यू इयर का खुमार उतरा भी नहीं होता है कि मकर संक्रांति आ जाती है और भाईसाहब फिर इस दिन जो धमाल मचता है वो आप भी जानते है और मैं भी। तो क्यों ना इस बार काईट फेस्टिवल जयपुर में ही मनाया जाए। अगर आप जयपुर ही हो तो पूरी उम्मीद है कि ये आर्टिकल आप अपनी या अपने दोस्तों की छत पर पतंगों को लुटते हुए या उड़ाते हुए ही पढ़ रहे होंगे। लेकिन जो जयपुर नहीं है उनको सपरिवार आमंत्रण है कि जयपुर आओ और इस संक्रांति अपना हाथ पतंगबाजी में आजमाओ। वैसे मुझे तो अभी से ही ‘कट्टे है’ की आवाज़ सुने दे रही है। 🙂
इतिहास क्या कहता है-

जयपुर में अंतरराष्ट्रीय पतंग महोत्सव का एक लंबा इतिहास रहा है। पतंगों को उड़ाने की प्रथा मकर संक्रांति से जुड़ी हुई है। लोग अपनी-अपनी छतो से सुबह उठते ही पतंग उड़ाने लग जाते हैं। आलम ये है कि इस दिन पतंग उड़ाने की प्रतियोगिताएं तक आयोजित की जाती है।
लेकिन इसका असली मक़सद इस बात से जुड़ा है कि मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने से सूरज के एक्सपोज़र का लाभ मिलता है। सर्दियों के दौरान, हमारा शरीर संक्रमित हो जाता है जिसमें खांसी और सर्दी जैसी कई और बीमारियाँ भी शामिल है और इस मौसम में हमारी स्किन भी ड्राई हो जाती है। जब सूर्य उत्तरायण में आता है, तो उसकी किरणें शरीर के लिए दवा के रूप में कार्य करती है। हमारा शरीर पतंग उड़ाने के दौरान लगातार सूरज की किरणों के संपर्क में रहता हैं, जो कि हमारे लिए फायदे वाला काम है। तो ऐसा कह सकते है कि पतंग उड़ाना तो बस एक बहाना और खेल था, असली खेल तो सूरज की किरणों का है। 😉

इंटरनेशनल काईट फेस्टिवल-
जयपुर में होने वाला अंतरराष्ट्रीय पतंग महोत्सव एक शानदार आयोजन के रूप में उभरा है। इसी वजह से इसमें हर साल भागीदारियों की संख्या में इजाफ़ा ही देखने को मिला है। हमेशा से इसका उद्घाटन जयपुर के पोलो ग्राउंड में किया गया है। इस फेस्टिवल को को दो सेक्शन में बांटा गया है, एक काईट वॉर सैशन और दूसरा फ्रेंडली काईट फ्लाइंग सेशन। इस फेस्ट का उद्घाटन पोलो ग्राउंड में होगा और लास्ट डे सेरेमनी उम्मेद भवन पैलेस के शाही परिसर में होगी। ये फेस्टिवल तीन दिनों तक चलेगा।

जनवरी महीने में जयपुर का आसमान आपको नीले रंग के आलावा हर तरह के रंगों से ढका मिलेगा। हरा, गेरुआ, लाल, नीले, पीले, हरे, फेशिया, इंडिगो, गुलाबी, नारंगी और न जाने कितने ही रंगों की पतंगे आपको नज़र आने वाली है। सुबह से शाम तक, सभी उम्र के लोग दिन भर पतंगबाजी का आनंद लेते हैं। इस दौरान खानेपीने का भी बंदोबस्त होता है। लोग इस दिन के लिए खासतौर पर मिठाई और दूसरे स्वादिष्ट जायके खाने में शामिल करते हैं।

अंतर्राष्ट्रीय पतंग महोत्सव, जयपुर 3 दिनों के लिए मनाया जाएगा। ये फेस्ट 14 जनवरी को शुरू होगा और 16 जनवरी तक जारी रहेगा। इस दौरान देश के ही नहीं विदेश से भी कई पतंगबाज़ अपनी पतंगबाजी दिखने आयेंगे।
जयपुर कैसे पहुंचा जाये-
बाय एयर- अब चूँकि 14 तारीख में इतना टाइम बचा नहीं है इसलिए जयपुर आने का सबसे अच्छा आप्शन यही है। सांगानेर हवाई अड्डा जयपुर से 13 किलोमीटर दूर है और यहाँ से घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों उड़ाने आती है।
बाय ट्रेन- जयपुर भारतीय रेल के माध्यम से भारत के लगभग हर हिस्से से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। अगर राजस्थान में कही से भी आ रहे हो तो इस फेस्ट के लिए ये भी एक अच्छा आप्शन है।
बाय रोड- जयपुर में सड़कों का अच्छा नेटवर्क है। दिल्ली और भारत के दूसरे शहरों से लक्जरी बसें, रोडवेज बसें राजस्थान स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (आरएसआरटीसी) द्वारा संचालित की जाती हैं। उनके आलावा प्राइवेट बसें, कैब्स और खुद के व्हीकल तो आप्शन में है ही।
उम्मीद है ये आर्टिकल पढने के बाद मन किया ही होगा कि एक बार गुलाबी नगर आकर बचपन की यादें ताज़ा कर ही ली जाए।