जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल हर किसी के लिये एक जाना-पहचना नाम है। इसे ‘धरती के सबसे बड़े साहित्य मेले’ का तमगा हासिल है, इसे ‘साहित्य का महाकुम्भ’ भी कहा जाता है। ये सच में विचारों का महासागर है जिसमें आप डूबना पसंद करेंगे।
एक नज़र जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल पर : इसके विस्तार का अंदाज़ा आप इससे लगा सकते है कि यहाँ पिछले एक दशक में लगभग 2000 स्पीकर्स शिरक़त कर चुके है और उन्हें सुनने के लिए लाखों की संख्या में लोग आ चुके है। हर साल इसे अटेंड करने वालों का आंकड़ा बढ़ता ही रहा है। हर साल ये फेस्टिवल अपनी डाइवर्सिटी को मेन्टेन करते हुए देश-विदेश से फेमस राइटर्स, थिंकर्स, ह्यूमैनिटी से जुड़े लोग, पोलिटिशियन्स, बिज़नस लीडर्स, स्पोर्ट्स से जुड़े जानकार और तरह तरह के एंटरटेनर्स को एक मंच प्रदान करता है। जहां ये लोग ऑडियंस से रूबरू होते है और एक हेल्दी डिबेट में भाग लेते है।
ये 2006 में अस्तित्व में आया और 2008 से लगातार टीमवर्क आर्ट्स इसे प्रोड्यूस कर रहा है। इस आईडिया के पीछे राइटर नमिता गोखले और विलिअम डार्लिम्पल है, मतलब ‘ज़ी जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल’ इन्ही दोनों की देन है।
ये पांच दिवसीय फेस्टिवल राजस्थान की राजधानी जयपुर के एक खूबसूरत महल दिग्गी पैलेस में होता है।
अब तक के नामी स्पीकर्स जो यहाँ आ चुके है : ये वैसे तो एक लंबी लिस्ट है लेकिन कुछ नाम है जो आप सुनना चाहेंगे और हम बताना भी 😉 इनमें है, नोबल प्राइज़ विनर्स जे.एम.कोएत्ज़ी, ओरहन पामुक और वोल सोयेंका, मन बुकर प्राइज़ विनर्स इआन मकइवान, मार्गरेट एटवुड और पॉल बेट्टी, साहित्य अकादमी विनर्स गिरीश कर्नाड, गुलज़ार साहब, जावेद अख्तर, सलमान रुश्दी जैसे नाम शामिल है। अन्य नामों में अमिश त्रिपाठी, विक्रम सेठ, एपीजे अब्दुल कलाम, अमर्त्य सेन, अमिताभ बच्च्न, दलाई लामा, ओप्राह विनफ्रे, स्टेफेन फ्री और थॉमस पिकेत्टी जैसे नाम भी है।
2018 में ये लोग शिरक़त करेंगे :
मुख्य नाम कुछ इस प्रकार है – अमिश त्रिपाठी, अनुराग कश्यप, अशोक वाजपायी, अविनाश दास, चेतन भगत, यूरिग सेलिस्बरी, फाल्गुनी बंसल, फारूक इंजिनियर, गुरमेहर कौर, हामिद करज़ई, इकराम राजस्थानी, किरण मजुमदार शॉ, मनु एस पिल्लई, मीरा नायर, नन्द भरद्वाज, नंदिता दास, नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी, प्रसून जोशी, राजदीप सरदेसाई, सचिन पायलट, सागरिका घोष, संपत सरल, सौरभ द्विवेदी, शर्मीला टैगोर, शशि थरूर, शीला दीक्षित, शोभा डे, सुधा मूर्ती, विनोद दुआ, विशाल भरद्वाज, जाकिर हुसैन… बाकि नाम आप ये लिंक खोलकर देख सकते है। https://jaipurliteraturefestival.org/speakers
JLF और controversy : एक कहावत है कि एक लाइब्रेरी में राखी 100 किताबों में से अगर एक भी किताब आपको ओफेंड नहीं करती है तो वो सही मायनों में लाइब्रेरी नहीं है। कुछ ऐसा ही है जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के साथ भी। हर साल JLF अपने साथ कुछ न कुछ बवाल ज़रूर लाता है कुछ सालों पहले सलमान रुश्दी वाला बवाल जब उनकी एक किताब विवादों में आ गयी और उन्हें राजस्थान में आने से मना कर दिया गया। फिर पिछले साल एक डिबेट में अनुपम खेर कुछ ऐसा बोल गए जो कि डिबेट में बोलने लायक शब्द था नहीं और इस साल जब ऐसा लग रहा था कि सबकुछ सही हो जाएगा तब करनी सेना का स्टेटमेंट आता है कि वो प्रसून जोशी को राजस्थान में गुसने नहीं देंगे।
देखा जाए तो जहां लिटरेचर होता है वहाँ विचार होते है और जहां विचार होते है वहाँ कुछ ऐसे भी होते हैं जो उन विचारों से ताल्लुक नहीं रखते है और फिर जन्म लेती है कोंट्रोवर्सी। पर आप और मैं 25 जनवरी से २९ जनवरी के बीच दिग्गी पैलेस में ज़रूर मिलेंगे। तो आइये इस ज्ञान के सागर में, हम और आप एक साथ गोते लगाते है, शब्दों के बीच। 😉