भारत में आज भी ज्यादातर औरतों की ज़िन्दगी चूल्हे-चोकें तक ही सिमित है। हालाँकि स्थिति थोड़ी बेहतर ज़रूर हुई है लेकिन इतनी भी नहीं कि हमें यह आर्टिकल लिखने से पहले ये सब नहीं लिखना पड़े। औरतों की स्थिति हमारे समाज में कैसी है इसका बहुत सही उदाहरण हमें स्वर्गीय विजयदान देथा ‘बिज्जी’ की लिखी कहानी ‘दुविधा’ में मिलता है। एक और बात अगर आप ‘बिज्जी’ को नहीं जानते है तब आपको गूगल कर उन्हें ज़रूर सर्च करना चाहिए और पढ़ना चाहिए।
औरतों की स्थिति पर उनकी कहानी का यह अंश: “जल-पूजन की रात्रि को बहू पीली चुंदरी ओढ़कर झांझर की झनकार करती हुई रनिवास की सीढ़ियां चढ़ने लगी. गोद में बच्ची. आंचल में दूध. आंखें सूनी. हृदय सूना. सर में मानो अनगिनत झींगुर गुञ्जार कर रहे हों. पति इंतजार में फूलों की सेज पर बैठा था. इस एक ही रनिवास में राम जाने उसे कितने जीवन भोगने पड़ेंगे? पर आंचल से दूध पीती यह बच्ची, बड़ी होकर औरत का ऐसा जीवन न भोगे तो मां की सारी तकलीफें सार्थक हो जायें. इस तरह तो जानवर भी आसानी से अपनी मरजी के खिलाफ इस्तेमाल नहीं किये जाते. एक दफा तो सर हिलाते ही हैं. पर औरतों की अपनी मरजी होती ही कहां है? मसान न पहुंचें तब तक रनिवास और रनिवास छूटने पर सीधी मसान!”
इसे बड़े आराम से पढ़िए आपको आइना दिख जाएगा। 🙂
आज हम आपको मिलवाने जा रहे है जयपुर की तीन वीमेन बाइकर से जो कैसे हमारे खुद के बनाए कन्ज़ेर्वेटीव सोसाइटी के बैरियर को तोड़कर उन्होंने अपनी खुद की एक सोसाइटी क्रिएट की है।
- विजया शर्मा: इस 44 वर्षीय बाइकर ने गर्ल पॉवर और वीमेन एम्पावरमेंट के साथ बाइक राइडिंग शुरू की थी। ये पिछले 12 साल से बाइक राइडिंग में है और पिछले एक साल से प्रोफेशनल्स के साथ बाइक राइडिंग शुरू की है। ये बताती है कि यह कोई आसन काम नहीं है। शुरू में काफी तकलीफ़े झेली। कई-कई बार लड़कों ने पीछा भी किया।
picture courtesy: Rajasthan Patrika लेकिन जब से लोगो को पता लगाने लगा है कि ये मेरा पैशन है तब से कईयों से मुझे सपोर्ट भी मिला है। कुछ ही दिन पहले इन्होने 7023 किलोमीटर लम्बी अपनी यात्रा 14 दिनों में पूरी की है जो गंगटोंक से होते हुए भूटान तक की थी। विजया शर्मा एक इंजीनियरिंग कॉलेज में स्पोर्ट्स कोऑर्डिनेटर है और अपनी कमाई का ज्यादातर हिस्सा पेट्रोल और बाइक पर खर्च करती है। 8 अप्रैल को विजया शर्मा कश्मीर से कन्याकुमारी की राइडिंग शुरू करने वाली है, ये लगभग 2300 किलोमीटर लम्बी यात्रा होगी।
- वैशाली भगत मास्टर: वैशाली वैसे तो आर्किटेक्ट हैं लेकिन पिछले 25 सालों से बाइक राइडिंग कर रही है। इनकी शुरुआत वर्क साईट्स विजिट करने से हुई थी जो अब बदलकर सीजन बाइक राइडिंग तक आ गई है। इनका खुद का एक ग्रुप भी है जिसका नाम ‘पिंकसिटी बाइकरनी’ है। ये खुद अपने पास रॉयल एनफील्ड रखती है।
picture courtesy: techwheelz इनका अब तक का सबसे रोमांचक सफ़र गुजरात के कच्छ से अरुणाचल प्रदेश के तेजु तक रहा है। वैशाली एक दिन में 300 से 600 किलोमीटर तक का सफ़र तय कर लेती है। इनके साथ इनके तीन फेलो राइडर्स भी है जो अब नार्थ से साउथ का प्लान कर रहे है। वैशाली भारतीय महिलाओं को मैसेज है कि आप घर के कामों से बाहर निकलो। जितना दुनिया को देख सको, देखो। यही एक तरीका है कुछ नया सिखने का।
- माधवी पिलानिया: माधवी अपनी रॉयल एनफील्ड इलेक्ट्रा 350cc से भारत में पश्चिम से पूर्व की यात्रा कर चुकीं है।इसके लिए उनका नाम ‘इंडिया बुक ऑफ़ रिकार्ड्स’ में भी शामिल किया गया है।
picture courtesy: desi diaries jaipur प्रोफेशन इनका अलग है। ये बतौर सेल्स एग्जीक्यूटिव काम करती है। लेकिन बाइक को लेकर दीवानगी इतनी है कि हर दिन जयपुर के बाहरी इलाकों में 40 से 50 किलोमीटर तो बाइक चला ही लेती है। माधवी अक्सर किसी न किसी कैंपेन से जुड़ी रहती है।
हमारे आसपास ऐसे और भी कई उदहारण मिल जाएँगे। जहां औरतों ने अपने मन की करनी चाही है और कामयाब रही है। हालाँकि समाज को ऐसी बातें ही ज्यादा परेशान करती है। इसीलिए हमें ऐसा समाज बनाना पड़ेगा जहां आप, हम अपने दिल की सुन सकें। हमें क्या चुनना है वो हम खुद तय कर सकें। ऊपर आपके सामने उदाहरण भी है। बस अब आपकी बारी है…. 🙂