World Poetry Day: वज़ीर और निज़ाम की कविताएं

World Poetry Day
Left : Rj Ravindra – Right : Praveen Jha

जयपुर शहर में हल्ला मचा हुआ रविन्द्र सिंह (वज़ीर) और प्रवीण झा (निज़ाम) का और इनकी सुपरहिट जुगलबंदी का, जैसे-जैसे लोगो तक उनकी ग़ज़लें और नज़्में पहुँच रही है वैसे वैसे ही लोग उनको और और सुनना की तमन्ना जाग रही हैं और आज 21 मार्च वर्ल्ड पोएट्री डे (विश्व कविता दिवस) पर इन दोनों शायरों की एक ख़ास नज़्म आप सबके लिए पेश है । अगर इन दोनों शायरों को सुनना है लाइव तो आईये द पोएट्री रिसाईटल्स के अगले सेशन में और लुत्फ़ उठाइये ग़ज़लों और शेरों का ।

World Poetry Day

यूनेस्को (संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन) ने 21 मार्च, 1999 को कविता दिवस के रुप में मनाने की घोषणा की थी। उसके बाद से ही कवियों को प्रोत्साहन, कविता लेखन को आगे बढ़ाने के मकसद से हर साल 21 मार्च को विश्व कविता दिवस के रुप में मनाया जाता आ रहा है।

Poems on Ravindra Singh and Praveen Jha, Founders of The Poetry Recitals

  • रविन्द्र सिंह (वज़ीर) | Ravindra Singh

    Ravindra Singh
    Rj Ravindra

मत पूछो चरागों की उम्र क्या है
ढ़ेर हुए पतंगो का हाल
सब कुछ बयां कर देगा

हिरनों का झुंड़ कितना ही भाग ले
आदमखोर
बदकिस्मत का शिकार कर ही लेगा

अब वो बड़ा हो चुका है
गाली भी देता है पर
वक्त आने पर बेटे की मदद
बाप कर ही देगा

हां तु सही टोकती थी
मेरी गलती होने पर
मां के जाने के बाद
बेटा तस्वीर पर
दो आंसु गिरा ही लेगा

बाहर के मौजों की हवा लग चुकी है
बीमार हुआ
तो घर की ओर चल ही देगा

और जो प्यार तु दूसरों में ढ़ूंढ़ता रहा
घरवालों की छुअन से उसे
महसूस कर ही लेगा

जो ताउम्र हुस्न को देखकर भटकता रहा , उसे सच्चा इश्क कौन देगा

जिस मुहब्बत के लिए तु सबसे ज्यादा रोया था
खंजर भी उसी का होगा
जान भी वही लेगा

झुक जाया कर कभी कभी
बड़ों के सामने
झुका हुआ पेड़ ज्यादा ही फल देगा

 सुबह उठकर छू लिया कर मां बाप के पैरों को , जन्नत ही मिलेगी गर तु
ये काम रोज़ाना कर लेगा⁠⁠⁠⁠
  • प्रवीण झा( निज़ाम⁠⁠⁠⁠) | Praveen Jha

    Praveen Jha
    Praveen Jha

रातें झूठी दिन भी झूठे,
सपने झूठे यें सावन झूठे..

यें धूप हैं झूठी ये छाँव हैं झूठी,
सारे शहर ये गाँव हैं झूठे..

‘इस अंधकार की बारिश में
कुछ शाखों से पत्ते टूटे’

मैं भी झूठा तुम भी झूठी,
दोनों के ज़ज्बात हैं झूठे..

वो पहली मुलाक़ात है झूठी,
वो दिल की हर बात हैं झूठी..

कसमें झूठी वादें झूठे,
फ़िक्र के सारे आँगन झूठे..

“एक तुम्हारा दिल हैं सच्चा
बाकि सारे सच हैं झूठे” I

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Source : Focus Bharat